आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी गद्य की प्रथम पुस्तक माना है | Acharya Ramchandra Shukla Ne Hindi Gadh Ki Pratham Pustak Mana Hai ?
Acharya Ramchandra Shukla Ne Hindi Gadh Ki Pratham Pustak Mana Hai – आचार्य रामचंद्र शुक्ल की प्रथम गद्य ‘हिंदी साहित्य का इतिहास‘ को माना जाता है. इसके अलावा इनके और भी प्रमुख गद्य मौजूद है.
जैसा की आप सभी को पता ही है की हमारे पुरे भारत देश में हिंदी का प्रचलन सबसे ज्यादा हुआ है और उसी के उपर हमारा हिन्दू धर्म भी आधारित है, जिसके चलते हिन्दू धर्म के सभी ग्रन्थ ज्यादातर हिंदी में ही प्रकाशित किये गये है, जिसमे आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का बहुत बड़ा योगदान है.
लेकिन क्या आपको पता है की आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी गद्य की प्रथम पुस्तक किसको माना है, अगर आपको भी नहीं पता है, तो ये पोस्ट खास आपके लिए ही है. जहाँ पर हम आपको आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी के प्रथम गद्य किसको माना है के साथ ही साथ उनका जन्म कब हुआ इन सभी सवालों के बारे में जानेगें. इसलिए आप हमारे साथ इस पोस्ट में शुरू से लेकर अंत तक जरुर बने रहे, तो आते है सीधे मुद्दे पर और रामचंद्र शुक्ल की प्रथम गद्य के बारे में जानते है.
Acharya Ramchandra Shukla Ne Hindi Gadh Ki Pratham Pustak Mana Hai ?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल की हिंदी प्रथम गद्य पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास को माना जाता है, जिसमे उन्होंने हिंदी साहित्य के विकास को विस्तृत रूप से explaine किया है. लेकिन फिर भी अगर आप गूगल पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की हिंदी गद्य की प्रथम पुस्तक को सर्च करते हो, तो आपको गूगल पर इसके कई सारे अलग अलग उत्तर देखने को मिल जायेगें, जोकि आपको सिर्फ गुमराह करने का काम करते है.
आचार्य रामचंद्र शुक्ल कौन थे ?
हिंदी भाषा में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का बहुत बड़ा योगदान रहा है, इनका सिर्फ हिंदी भाषा में योगदान ही नहीं रहा बल्कि ये एक नाटककार, कवी और विद्वान भी थे और इनकी मुख्य रचनाएं ‘हिंदी साहित्य का इतिहास, सुखदेव, चित्रकार’ आदि है.
हिंदी के साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म कब हुआ ?
इनका जन्म 4 अगस्त 1884 को हुआ था.
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हिंदी गद्य की प्रमुख विधाएं कौन-कौन सी हैं ?
इसमें कुछ खास विद्याएँ ही प्रमुख थी, जोकि हम आपको निचे पॉइंट्स में बताने जा रहे है.
- रेखाचित्र
- आत्मकथा
- उपन्यास
- निबंध
- नाटक
- पत्र
निष्कर्ष – Acharya Ramchandra Shukla Ne Hindi Gadh Ki Pratham Pustak Mana Hai
हमे उम्मीद है की आपको आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी गद्य की प्रथम पुस्तक माना है और हिंदी गद्य की प्रमुख विधाएं कौन-कौन सी हैं के बारे में अच्छे से जानकारी मिल सकी होगी. अगर अभी भी आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल हो, तो आप हमे कमेंट्स में बता सकते हो. हमे आपके सभी सवालों का जवाब देते हुए बहुत ख़ुशी होती है.
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